यूनाइटेड किंगडम को यूरोपियन यूनियन से अलग करने के लिए मार्च 2016 में जनमत संग्रह हुआ, इसमें ब्रेग्जिट पर मुहर लगी।
यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने यूरोपियन यूनियन (ईयू) से बाहर होने के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। जॉनसन ने डील पर हस्ताक्षर के दौरान कहा कि देश के लिए यह शानदार पल है। 2016 के जनमत संग्रह का नतीजा आखिरकार लागू होने वाला है। उम्मीद है कि इससे दोनों (यूके और ईयू) के बीच सालों से हो रही बहस और अलगाव में कमी आएगी। माना जा रहा है कि यूके की ईयू से बाहर होने की तैयारियां पूरी हो गई हैं। समझौते के बाद जॉनसन सरकार 31 जनवरी तक ब्रेग्जिट डील पूरी कर सकती है।
एक दिन पहले ही यूरोपियन यूनियन के नेताओं ने भी यूके को बाहर करने के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। अब 29 जनवरी को ब्रिटिश संसद में यूरोप से बाहर होने के समझौतों पर चर्चा और वोटिंग होगी। यूरोप की संसद में भी इसी दिन यूके को बाहर करने पर वोटिंग होगी, हालांकि यह सिर्फ प्रतीकात्मक रहेगी। यूरोप के ज्यादातर नेता यूके को ईयू से बाहर करने के फैसले पर हामी भर चुके हैं।
ब्रेग्जिट से ब्रिटिश इकोनॉमी को 2016 से 2020 तक 18.9 लाख करोड़ का नुकसान संभव है। फिलहाल यह 12 लाख करोड़ रु. है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक हाल के वर्षों में वैश्विक वृद्धि कमजोर रही है, पर ब्रिटेन ज्यादा ही पिछड़ गया है। इसकी सालाना ग्रोथ रेट 2% से घटकर 1% रह गई है।
Today I have signed the Withdrawal Agreement for the UK to leave the EU on January 31st, honouring the democratic mandate of the British people.
This signature heralds a new chapter in our nation’s history. pic.twitter.com/IaGTeeL2is
— Boris Johnson (@BorisJohnson) January 24, 2020